Tulsi तुलसी! ऐसा पौधा जिसकी तुलना किसी से भी नहीं की जा सकती है | Holy Basil! A plant that cannot be compared.
दोस्तों इस पोस्ट में मैं आपको तुलसी के बारे में एक कुछ महत्वपूर्ण जानकारी देने वाला हूँ जो सायद ही आपको पहले से पता हो। अब सबसे पहली चीज तो आप यह समझिये कि तुलसी को तुलसी असल में इसलिए कहा जाता है क्योंकि पूरे के पूरे आयुर्वेद में ऐसी कोई दूसरी औषधि है ही नहीं जो किसी भी मामले में, किसी भी तरीके से तुलसी की बराबरी कर सकें और इसी से तुलसी यानी कोई ऐसी चीज जिसकी तुलना किसी से भी नहीं की जा सकती, इसका नाम तुलसी रखा गया। Tulsi
जानिए तुलसी कितने प्रकार की होती है? और उनके गुण | How Many Types of Tulsi & Properties
वैसे तो तुलसी बहुत सारी तरह की होती है पर भारत में आमतौर पर तीन तरह की तुलसी सबसे ज्यादा पाई जाती हैं जिसमें से पहली होती है रामा तुलसी या श्री तुलसी, इसकी पत्तियां हरे रंग की होती है। दूसरी तरह की कृष्णा तुलसी या श्यामा तुलसी होती है और इसकी पत्तियां थोडा सा जामुनी रंग लिए हुई होती है। और तीसरे तरह की तुलसी वन तुलसी होती है जिसकी पत्तिया गहरे हरे रंग की होती है।
अब सवाल यह उठता है कि इन तीनों तरह की तुलसी में क्या अंतर क्या होता है? इस चीज को समझने के लिए सबसे पहले आप इस चीज को समझिये कि तुलसी में बहुत सारे तरह के फाइटोकेमिकल्स होते है। जो बहुत सारे अलग-अलग तरीकों से अपने फाइटोकेमिकल्स के अलग-अलग कंसंट्रेशन की वजह से आपके शरीर को बहुत सारे अलग-अलग तरह के फायदे पहुंचाते हैं।
चलिये इस चीज कि हम जरा एक उदारण के माध्यम से समझने की कोशिश करते है। देखिये तुलसी के जो दो प्रमुख इनग्रेडिएंट्स (Key Ingredient) होते है उनमें से एक युजिनोल (Eugenol)होता है जो कि एक बेहतरीन तरह का एंटीसेप्टिक (Antiseptic ) होता है, दूसरा रोजमेरेनिक एसिड (Osmarinic Acid) होता है जो कि एक बेहतरीन तरह का (anxiolytic) होता है यानी दिमाग के लिए बहुत ही अच्छा होता है। अगर किसी भी तरह की बीमारी या इन्फेक्शन के बारे में बात की जाए तो पहली चॉइस वन तुलसी ही होगी। और अगर किसी भी तरह के दिमाग से रिलेटेड चीज के बारे में बात की जाए तो फर्स्ट चॉइस कृष्ण तुलसी है।
अब चलिये हम एक-एक कर तुलसी के सभी फायदों के बारे में भी जान लेते है | Benefits of Tulsi
शुरुआत दिमाग से करते है, आजकल के जमाने में अति के करियर, अति के करियर ऑप्शन्स और आक्षेप (Aspersions)की वजह से मानसिक तनाव (Psychological Tension)बहुत ज्यादा बढ़ चुका है, जिसकी वजह से चिंता (Anxiety), तनाव (Stress) और अवसाद (Depression)की परेशानी लगभग सभी को रहती है। लेकिन तुलसी की सबसे बड़ी खासियत यह होती है कि तुलसी एक बेहतरीन एडाप्टोजेन्स (Adaptogens) होता है जो आपके शरीर में जाकर सीधे सीधे कॉर्टिकोस्टेरोन (Corticosterone) को कम करना शुरू कर देता है जिसका सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि आपका मूड अच्छा रहने लगता है और जो होते हैं या बंद हो जाती है इसका सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि आपका मूड अच्छा रहने लगता है। और मूड स्विंग जो होते है यानी बिना किसी वजह के चिड़चिड़ा जो रहती है वह होना बंद हो जाती है। इसके अलावा क्युकी तुलसी एक बेहतरीन मेध्य रसायन (Nootropic Herb) होता है।
तुलसी लेने से आपका कॉग्निटिव फंक्शन (cognitive function) हर तरह से बेहतर होना शुरू हो जाता है। इस चीज को जरा समझ भी लीजिये, देखिये कॉग्निटिव फंक्शन के बेहतर हो जाने से मतलब है कॉग्निटिव फ्लेक्सिबिलिटी (cognitive flexibility) का बढ़ जाना यानी कि एक समय में एक से ज्यादा चीजे कर पाना दुसरे शब्दों में मल्टीटास्किंग कर पाने की काबिलियत बढ़ जाती है। इसके अलावा आपकी शोर्ट टर्म की मेमोरी(short-term memory) और वोर्किंग मेमोरी (working memory) भी बढ़ जायेगी जिसकी वजह से आपका अटेंसन स्पैम (attention spam) बढ़ जायेगा ।
अब सवाल ये उठता है वर्किंग मेमोरी और अटेंसन स्पैम (attention spam) बढ़ जाने से क्या होगा? इससे यह होगा कि आप बेहतर तरह से अपने काम पर कंसंट्रेशन (concentration) कर पायेंगे, चीजों को अच्छी तरह से याद कर भी पायेंगे और उन्हें अच्छी तरह से याद रख भी पायेंगे।
जिसकी वजह से आपकी ओवर ऑल प्रोडक्टिविटी बढ़ जाएगी। इसके अलावा तुलसी लेने का एक बहुत बड़ा फायदा यह भी होता है कि जब आप सोते हो तो आपको बहुत ही गहरी नींद आती है। और जब आप जाते हो तो एकदम तरोताजा और जोर से भरपूर होते हो। सुबह सुबह जागने के बाद जो अलग आता है वह पर आना बंद हो जाता है।
एक चीज चलिए और भी बता देता हूं… देखिये वो लोग जो (Anxiolytics) लेते है या फिर किसी भी तरह की डिप्रेशन की दवा (Anti-Depressant) खासतौर पर डेज़िपाम (Diazepam) जो लेते है। आप इन दवाईयों के साथ साथ नेचुरल फॉर्म में तुलसी को लेना शुरू कर दीजिये। आपकी इन चीजों को लेने की जो डिपेंडेंसी है वह 2 से 3 महीने के अंदर अंदर खत्म हो जाएगी।
अब आ जाइए मुंह पर,और देखिए मुंह संबंधित तीन सबसे बड़ी परेशानियां होती है, वह होती है दांतों का सड़ना, मुँह में छालें होना और साँस लेने पर मुंह से बदबू आना, इन तीनो ही तरह की परेशानियों के लिए, कुल मिलाकर यह किया जाता है कि वन तुलसी के पत्तों को छाया में सुखा लिया जाता है और उसका पाउडर बना लिया जाता है। और सुबह जब दांत साफ़ किए जाते हैं तब 1 ग्राम तुलसी के पत्तों के पाउडर में 1 ग्राम सरसों का तेल मिला लेते हैं और उससे मंजन कर लेते हैं। इसके अलावा अगर पायरिया है और दातों पर जो खट्टा या ठंडा लगता है, आप केवल इस तरह से मंजन करना शुरू कर दीजिए और यह परेशानियां जड़ से खत्म हो जाएंगी।
अब हम डाइजेस्टिव सिस्टम की बात कर लेते है…देखिये तुलसी आपके पेट की छोटी-मोटी परेशानियां जैसे की पेट में दर्द होना, गैस हो जाना, जी मिचलाना या उल्टी आना या फिर दस्त लगने जैसी परेशानियों को वैसे ही सही कर देती है। इसके अलावा खट्टी डकारों के लिए या फिर वो लोग जिन्हें आम तौर पर थोड़ी बहुत एसिडिटी रहती ही है, या फिर एसिड रिफ्लक्स के लिए जिसमें आम तौर पर एक गीली सी डकार आती है और ऐसा लगता है जैसे पूरे गले में आग लग चुकी है। इन तीनों की तरह के मामलों में तुलसी की कोई काट नहीं है।
इसके अलावा तुलसी की एक बहुत ही बड़ी खासियत यह भी होती है कि यह आपके लीवर की क्षमता को बढ़ा देती है। इस चीज को जरा सा समझ भी लीजिये देखिये लिवर के बहुत सारे फंक्शन होते हैं जिसमें से एक फंक्शन होता है शरीर को डिटॉक्सिफाई करना और लिवर क्या करता है कि जितने भी टोक्सिन आपके शरीर में जाते है लीवर उन्हें ग्रहण(absorb) करता है, प्रोसेस करता है डिटॉक्सिफाई करता है और उन्हें शरीर से बाहर भेज देता है।
अब जो कि तुलसी अपने आप में एक बेहतरीन डिटॉक्सिफाइंग एजेंट होता है जब आप तुलसी लेते हो तो आपको सिनेरीजीन का फायदा मिलता है यानी एक और एक ग्यारह हो जाता है।
अब सवाल ये उठता है कि डिटॉक्सिफिकेशन (रक्त को शुद्ध करना) पर इतना ज्यादा जोर क्यों दिया जाता है?
देखिये आप इस चीज को थोडा ऐसे समझ सकते है कि आज कल हमारे खाने में बहुत सारे प्रोसेस्ड फूड और पैकेजिंग फूड आ चुके है और उनमे बहुत सारे तरह के प्रिज़र्वटिव (preservative) और इंडस्ट्रियल केमिकल्स होते है जो हर तरह से हमारी सेहत के लिए हानिकारक होते है।
इस चीज को ऐसे भी समझिए कि ऐसा हो सकता है कि आप किसी भी तरह के प्रोसेस फूड्स या पैकेज फूड्स नहीं लेते हो पर अगर आप फल या हरी सब्जियां भी खाते हैं तो देखिए उनमें भी फर्टिलाइजर्स और पेस्टिसाइड तो होते ही हैं और अच्छी खासी मात्रा में होते है। और इन सभी चीजों से हमारे शरीर को नुकसान नहीं पहुंचे इसके लिए शरीर को डिटॉक्सिफाई करना और डिटॉक्सिफाइड रखना बहुत ही ज्यादा जरूरी होता है और उसका सबसे आसान तरीका होता है तुलसी लेना।
अब हम किडनी की भी बात कर लेते है… तुलसी जो है वह एक बेहतरीन ड्यूरेटिक (diuretic)होती है जो आपके खून में फ्लुइड्स (Fluids), मिनरल्स और यूरिक एसिड को बैलेंस रखती है। इस चीज को भी समझिये कि खून में यूरिक एसिड का बढ़ जाना किडनी में स्टोन हो जाने की सबसे बड़ी वजह होती है। अब क्योंकि तुलसी यूरिक एसिड के स्तर को नॉरमल कर देती है और उनको नॉर्मल ही रखती है क्योंकि यह एक बेहतरीन ड्यूरेटिक होती है।
अगर आप तुलसी लेते हैं तो किडनी के जो स्टोन है वो यूरिन के जरिए बाहर निकल जाते है। इसके अलावा क्यूंकि तुलसी यूरिक एसिड के लेवेल्स को नार्मल करती है और उन्हें नार्मल ही रखती है। तुलसी तीन तरह के लोगों के लिए बहुत ही ज्यादा फायदेमंद है एक तो वो जिन्हें डायबिटीज है, दुसरे वो जिन्हें किसी भी तरह का मेटाबोलिक सिंड्रोम (Metabolic Syndrome) है और तीसरे है वो लोग जो बॉडी बिल्डिंग करते है और बहुत सारे तरह का प्रोटीन या प्रोटीन सप्लीमेंट्स लेते है। इस चीज को एक बार फिर याद रख लीजिए वह लोग जो ज्यादा प्रोटीन लेते है उनके खून में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ जाती है। जिसकी वजह से बहुत सारी तरह की बीमारियां हो जाती है।
अब आ जाइए श्वसन तंत्र पर और तुलसी जो है श्वसन तंत्र (respiratory system) के लिए कितनी ज्यादा फायदेमंद होती है इस चीज को आप ऐसे समझ कर देख लीजिए कि आयुर्वेद की ऐसी कोई दवाई हो ही नहीं सकती जिसे किसी भी तरह के रेस्पिरेटरी डिसऑर्डर्स या रेस्पिरेटरी डिसीज़ (respiratory disease) के लिए बनाया गया है और उसमें तुलसी ना हो। इसके अलावा क्योंकि तुलसी में एक बेहतरीन प्रॉपर्टी होती है जो कफ़ को ढीला कर बाहर निकाल देती है। तुलसी ना केवल साधारण सर्दी खांसी और जुकाम को सही कर देती है बल्कि अपनी एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल प्रॉपर्टीज की वजह से ट्यूबरक्लोसिस (tuberculosis) के मरीजों के लिए भी ज्यादा फायदेमंद होती है।
अब बात कर लेते है परिसंचरण तंत्र / कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम (cardiovascular system) पर…
तुलसी आपकी लिपिड प्रोफाइल(lipid profile) को बेहतर करती है, यानी अगर आप रोजाना लेते हो तो इसकी वजह से आपका सीरम कोलेस्ट्रॉल, ट्राइग्लिसराइड्स(Triglycerides),फॉस्फोलिपिड(Phospholipids)और LDL कोलेस्ट्रॉल तो कम होता ही है, साथ ही तुलसी लेने का एक बहुत बड़ा फायदा ये भी होता है कि तुलसी आपके शरीर में HDLकोलेस्ट्रॉल जो कि एक अच्छा कोलेस्ट्रॉल होता है उसको बहुत अच्छी तरह से बड़ा देती है और इसका सबसे बड़ा फायदा यह होता है ब्लड कोलेस्ट्रॉल, हार्मफुल केमिकल्स और प्रदुषण की वजह से रक्त वाहिनियो में जो कठोरता आ जाती है। एथेरोस्क्लेरोसिस(Atherosclerosis)जिसे कहते है नहीं आ पाती और रक्त वाहिनिया( blood vessel)कसी हुई और लचीली बनी रहती है। इस चीज को भी समझिये कि ब्लड वेसल्स में जो कठोरता आती चली जाती है उसकी एक वजह उम्र भी होती है। पर अगर आप तुलसी लेते रहते हैं तो आपकी ब्लड वेसल्स में कसावट और लचीलापन जो है वो ज्यादा लंबे समय तक बना रहता है।
दूसरी चीज आप यह भी समझिये कि तुलसी (Tulsi) आपका स्टैमिना भी बहुत ज्यादा बढ़ा देती है और ऐसा इसलिए है क्योंकि तुलसी आपके शरीर की ऑक्सीजन को कन्जूम(consume) करने की, उसे प्रोसेस करने की और उससे एनर्जी निकाल लेने की काबिलियत को बहुत ज्यादा बढ़ा देती है।
इस चीज को जरा समझ भी लीजिए… देखिये आपका शरीर जितनी ज्यादा क्षमता(efficiency) के साथ ऑक्सीजन को प्रोसेस करने लग जाएगा उतना ही कम आपके शरीर में लैक्टिक एसिड बनेगा। जिसकी वजह से आप किसी भी काम को ज्यादा इंटेंसिटी के साथ ज्यादा देर तक कर पाओगे और इसीलिए अगर आप किसी भी तरह के स्पोर्ट र्में है या फिर अगर आप पुलिस या मिलिट्री के किसी एग्जाम की तैयारी कर रहे है, आपको अपनी डाइट में तुलसी (Tulsi) जरूर शामिल करना चाहिए।
अब बात कर लेते है इंफ्लेमेटरी सिस्टम (Inflammatory System)की…
देखिए तुलसी जो है यह एक बेहतरीन एंटी इन्फ्लेमेटरी, एंटी एलर्जिक, एंटी बैक्टीरियल और एंटी वायरल होती है जिसकी वजह से तुलसी (Tulsi) जो है ये कील-मुहासे, फोड़े फुंसी दाद-ख़ाज, काटने और छिलने पर खास तौर पर फायदेमंद होती है।
इसके अलावा तुलसी (Tulsi) जो है ये लाल चकत्ता (Ringworm) की वजह से जो त्वचा रोग (Skin Diseases)होती है उनके लिए तो खासतौर पर फायदेमंद है साथ ही साथ विटिलिगो (ल्यूकोडर्मा), एग्जिमा(Eczema)और सोरायसिस के पेशेंट के लिए भी तुलसी बहुत ही ज्यादा फायदेमंद होती है। और इसके फायदे के लिए असल में तुलसी का रस पिया भी जाता है और जिस जगह पर इंफेक्शन है उस जगह पर तुलसी का रस लगाया भी जाता है। दूसरी चीज देखिये आप ये भी समझिये कि तुलसी एक बेहतरीन डाफोरेटिक(diaphoretic)होती है जिसकी वजह से चाहे किसी भी तरह की बीमारी हो और उस बीमारी की वजह से चाहे कितना भी बुखार हो तुलसी हर तरह के बुखार को उतारने के लिए एक रामबाण औषधि है।
इसको जरा समझ भी लीजिए… देखिये तुलसी (Tulsi) एक बेहतरीन डाफोरेटिक होती है तुलसी असल में पसीना लाकर बुखार को उतारती है जो कि बुखार को उतारने का सबसे बेहतरीन और एकदम नेचुरल तरीका होता है। यानी उस तरह का तरीका जिसका कोई साइड इफेक्ट हो ही नहीं सकता। इसके अलावा क्योंकि तुलसी एक बेहतरीन दर्द निवारक(analgesic) होती है। अगर आपके साथ कुछ इस तरह की परेशानी रहती है कि शरीर में कहीं ना कहीं दर्द होता ही रहता है या बना ही रहता है तो बजाय इसके कि आप रोज रोज कोई दवाई लेने शुरू करें बेहतर होगा कि आप तुलसी लेना शुरू कर दीजिए। और आपके शरीर में हमेशा किसी ना किसी तरह का जो दर्द बना रहता है वह खत्म हो जाएगा।
अब आ जाइए रिप्रोडक्टिव सिस्टम पर… देखिए तुलसी (Tulsi) के जो बीज होते हैं आदमियों के रिप्रोडक्टिव सिस्टम के लिए बहुत ही ज्यादा फायदेमंद होते है यानी स्पर्म क्वालिटी, स्पर्म क्वांटिटी और स्पर्म मोटेलिटी(Sperm Motility)तो खैर बढ़ती ही बढ़ती है। अगर केवल तीन महीने तक रात के समय गाय के 250 ग्राम दूध के साथ 1 ग्राम तुलसी के बीज 10 ग्राम मिश्री के साथ ले लिए जाएं तो आपकी स्तंभन शक्ति यानी समयावधि(time duration) जो है कई गुना तक बढ़ जाती है। इसके अलावा अगर आपको स्वप्नदोष (Nightfall)की परेशानी है तो आप इसी चीज को एक महीने तक लेकर देखिये और लेते रहिये, आप इस चीज को भूल जायेंगे कि आपको इस तरह की भी कोई परेशानी भी हुआ करती थी।
एक चीज चलिए और भी बता देता हूं… अगर आप एक आदमी है और अगर आने वाले 1 या 2 महीने के अंदर आपकी शादी होने वाली है तो बजाय इसके कि आप किसी भी तरह की दूसरी आयुर्वेदिक औषधि का इस्तेमाल करें। आप बताए गए तरीके से तुलसी के बीजों का इस्तेमाल कीजिए क्योंकि बाकी की जितनी भी चीज़े है सब की सब असर दिखाने में कम से कम 6 महीने का समय लेती ही है। जबकि तुलसी के जो बीज है ये एक महीने के अंदर अंदर अपना असर दिखाना शुरू कर देते है।
अब अगले फायदे की बात करते है… आयुर्वेद में तुलसी (Tulsi) को रसायन माना जाता है और ऐसा इसलिए है क्योंकि तुलसी में बहुत अच्छी मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट होते है। जो फ्री रेडिकल से होने वाले नुकसान से हमारे शरीर को बचाते है। इसके अलावा तुलसी की एक बहुत बड़ी खासियत यह भी होती है कि तुलसी जो है यह हेवी मेटल्स को यानी सीसा (Lead), आर्सेनिक(Arsenic), कैडमियम(Cadmium), क्रोमियम(Chromium)और मरकरी(Mercury)जो आजकल हमारे खाने में बहुत ज्यादा बढ़ चुके है उनको भी हमारे शरीर से बाहर निकाल देती है। यह तो हो गई दूसरी चीज, अब तीसरी देखिये चीज़ तुलसी एक बेहतरीन रेडियोप्रोटेक्टिव(radioprotective)भी होती है जो किसी भी तरह के रेडिएशन की वजह से होने वाले ऑक्सीडेटिव सेल्यूलर और क्रोमोसोमल डैमेज से भी शरीर को बचाती है। इसका क्या मतलब हुआ? इसका मतलब यह हुआ कि अगर आप तुलसी लेते रहते हो तो आप बहुत सारे तरह के कैंसर से भी बचे रहते हो।
इस चीज़ को भी समझिये जो आप मोबाइल फ़ोन इस्तेमाल करते है उसमे से अच्छी खासी रेडिएशन निकलती ही रहती है जो हमारी ब्रेन एक्टिविटी, रिएक्शन टाइम और स्लीप पैटर्न को बहुत बुरी तरह से नुकसान पहुंचाती है। और देखिए इसीलिए अगर आप मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं तो आपको तुलसी जरूर लेना चाहिए। ये हो गई तीसरी चीज , अब चौथी चीज तुलसी की एक कमाल की खासियत यह भी होती है कि अगर आप किसी भी तरह की दवाई लेते हैं तो तुलसी जो है वह उस दवाई की क्षमता(efficiency)को बढ़ा देती है साथ ही साथ उस दवाई से होने वाले साइड इफेक्ट को कम कर देती है।
पांचवी चीज… देखिये तुलसी जो है ना केवल प्रचुर मात्रा में ऑक्सीजन छोड़ती है बल्कि तुलसी वातावरण को भी एकदम शुद्ध कर देती है।
इस चीज को जरा समझ भी लीजिए… देखिये तुलसी (Tulsi) के पत्तों से लगातार इसके इनग्रेडिएंट्स इवैपरैट(evaporate) होते रहते हैं जो आपकी नाक के रास्ते आपके शरीर में जाते हैं और जो फायदा बहुत सारी तुलसी खाने से मिलता है। अगर आप केवल तुलसी के पास बैठकर प्राणायाम या मेडिटेशन करेंगे तो आपको उससे बहुत ज्यादा फायदा मिलेगा। और देखिए इसीलिए अगर आप प्राणायाम या मेडिटेशन करते है तो फिर आपको इस बात पर खासतौर पर ध्यान देना चाहिए। यह दोनों काम आपको तुलसी (Tulsi) के पास बैठकर करना चाहिए।
इसके अलावा घर में तुलसी लगाने का एक बहुत बड़ा फायदा यह भी होता है तुलसी की गंध की वजह से बहुत सारे कीड़े मकोड़े खासतौर पर मच्छर और मक्खी दूर ही रहते है।
अब बात कर लेते है छठे और सबसे बड़े फायदे पर … वो फायदा यह है कि तुलसी (Tulsi) जो है यह आपकी इम्यूनिटी बना देती है। इस चीज को जरा समझ भी लीजिये, देखिये तुलसी आपके शरीर में नेचुरल किलर और टी हेल्पर सेल (T Helper Cells)होते है इनकी मात्रा एकदम नेचुरल तरीके से बहुत ज्यादा बढ़ा देती है। और नेचुरल किलर सेल्स और टी हेल्पर सेल की सबसे बड़ी खासियत यह होती है कि इंसान के शरीर की जो इम्युनिटी जो होती है उसका पूरा का पूरा खेल इन्ही दो चीजो पर टिका हुआ होता है।
अब चलिये जरा ये भी समझ लीजिये कि तुलसी (Tulsi)कब लेना चाहिए? कैसे लेना चाहिए? और कितनी लेना चाहिए?
देखिए इसका सबसे सही तरीका यही रहता है कि राम तुलसी, श्याम तुलसी और वन तुलसी तीनों के 5-5-5 पत्ते लीजिए। एक गिलास पानी में डालिए और उसको तब तक उबालें जब तक केवल आधा गिलास पानी नहीं रह जाए और उसको पी जाइए। और इसको पीने का सबसे सही समय होता है सुबह की चाय की जगह और शाम की चाय की जगह।
आखिरी चीज… देखिये पुरे के पुरे आयुर्वेद में अगर किसी एक औषधि को माँ माना गया है, तो तुलसी को माना गया है। और ऐसा इसलिए है क्यूंकि जिस तरह से एक मां अपने बच्चे की देखभाल करती है और जिस तरह से उसका पोषण करती है उस तरह से दूसरा और कोई भी कुछ भी करकर हीं कर सकता और इसीलिए आप अपने घर में तुलसी (Tulsi) जरूर लगाइए और उसका सेवन रोज कीजिए।