क्यों मनाई जाती है नागपंचमी | Kyu Manate Hai Nag Panchami
आखिर क्या है नागपंचमी मनाने के पीछे का पौराणिक रहस्य? भारत एक ऐसा देश है जहाँ तरह तरह के त्यौहार अलग अलग धर्मों और समुदायों द्वारा मनाए जाते है। खास तौर से हिंदू धर्म में अनेक प्रकार के छोटे बड़े व्रत और त्योहार मनाये जाते है। ऐसा ही एक प्रमुख त्योहार है नागपंचमी, जो सावन महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। आज की इस कड़ी में हम आपके लिए लेकर आए है एक ऐसी रोचक कथा जिसकी वजह से नागपंचमी Naag Panchami का ये पर्व मनाया जाता है।
Naag Panchami Katha | नागपंचमी कथा
कहानी की शुरुआत करते है नाग माता कद्रू से जिनके बारे में कहा जाता है कि ये दक्ष प्रजापति की पुत्री थी जिनका विवाह महर्षि कश्यप के साथ हुआ था। एक बार कद्रू की सेवा भाव से प्रसन्न होकर महर्षि कश्यप ने कोई वरदान मांगने को कहा तो कद्रू ने 1000 नागों को पुत्र रूप में प्राप्त करने का वरदान मांगा। परिणाम स्वरूप कद्रु 1000 नागों की माता हुई और इस तरह यह नाग माता कहलाई।
इनके विषय में एक कथा सुनने में आती है जिसका वर्णन भविष्य पुराण में आता है कि जब राक्षसों और देवताओं द्वारा सागर मंथन हो रहा था। उस समय कई तरह की बहुमूल्य रत्न और वस्तुएँ समुद्र से प्राप्त हुई। उसी दौरान उच्च सराबा नाम का एक सफेद रंग का घोड़ा सागर से निकला। इसे देखकर नाग माता कद्रू ने अपनी सौत विनीता से कहा, देखो यह घोड़ा कितना सुंदर है। इसका रंग तो बिल्कुल सफेद है लेकिन इसके बाल बहुत काले है। इसके जवाब में विनीता ने उत्तर दिया की ये घोड़ा इतना भी सफेद नहीं है जितना तुम समझ रही हो और ना ही इसके बाल काले है। विनीता के इस उत्तर को सुनकर कद्रू ने एक शर्त रखी और कहा कि अगर मैंने तुम्हें इस घोड़े के बालों को काला दिखा दिया तो तुम्हें मेरी दासी बनना स्वीकार करना पड़ेगा लेकिन अगर मैं इस घोड़े के बालों को काला नहीं दिखा पाई तो तुम्हारी दासी बन जाऊंगी।
विनीता ने कद्रू की शर्त को मान लिया और दोनों अपने अपने स्थान को वापस चली गयी। कद्रू के मन में छल का भाव आ चुका था और वो अपनी शर्त किसी भी तरह मनवाना चाहती थी। इसीलिए उसके दिमाग में उपाय सूझा और उसने अपने नाग पुत्रों को बुलाया और अपनी शर्त के बारे में सारी बातें विस्तार से बताई और कहा हे पुत्रों तुम सब अपना रूप इतना छोटा कर लो और इस घोड़े के बालों में लिपट जाओ ताकि यह बाल एकदम से काले दिखने लगे और मैं शर्त जीत जाऊं जिससे मेरी ये सौत विनीता मेरी दासी बन जाए।
नाग माता कद्रू की इस बात को सुनकर पुत्रों ने कहा हे! माता हम लोग इस तरह से अधर्म नहीं कर सकते। आप धर्म के सहारे जीतना चाह रही है और यह उचित नहीं है। इसीलिए हमें क्षमा करें, हम आपकी आज्ञा का पालन नहीं कर सकते। अपने पुत्रों की इस बात को सुनकर नागमाता को बहुत क्रोध आया और उन्होंने कहा मैं तुम सब को श्राप देती हूँ। कुछ काल बाद पांडव वंश में एक राजा होंगे जिनका नाम जन्मेजय होगा। वो जब सर्प यज्ञ करेंगे तो उस यज्ञ में तुम सब जलकर भस्म हो जाओगे। और तुम सब का नाश हो जाएगा। ये सुनकर कद्रू के सारे पुत्र बहुत डर गए और तुरंत ही वासुकी नाग को लेकर ब्रह्मा जी के पास पहुंचे और वहाँ सारी घटना सुनाई। सारी घटना सुनने के बाद ब्रह्मा जी ने कहा हे! वाशुकी, आप चिंता ना करें, कुछ समय बाद यायावर वंश में एक तपस्वी ब्राह्मण जरत्कारु का जन्म होगा। उससे तुम अपनी बहन का विवाह कर देना। दोनों के सहयोग से आस्तिक नाम का प्रतापी पुत्र जन्म लेगा, जो राजा जन्मेजय द्वारा किए गए सर्प यज्ञ को रोककर तुम सब की रक्षा करेगा।
ब्रह्मा जी के कहे अनुसार, समय आने पर आस्तिक मुनि ने राजा जनमेजय के सर्प यज्ञ को रोककर सभी नागों की रक्षा की। जिस दिन आस्तिक मुनि ने नागों की रक्षा की, वो दिन पंचमी का था और संयोग से ब्रह्मा जी ने जो वरदान नागों की रक्षा के लिए दिया था वो दिन भी पंचमी का ही था। इस वजह से यह पंचमी का दिन नागों को बहुत प्रिय है। इस दिन नाग लोक में एक खास उत्सव मनाया जाता है।
भविष्य पुराण में नागों पर दूध चढ़ाने के विषय में एक आध्यात्मिक कारण यह भी बताया गया है कि नाग पंचमी Naag Panchami वाले दिन सर्पों को दूध चढ़ाने से सर्प भय नहीं रहता और जो भी व्यक्ति नागपंचमी के दिन पूरे विधि विधान से नागों की पूजा करता है उसे नागलोक में स्थान मिलता है।
सर्पों की शारीरिक संरचना के विषय में भविष्य पुराण में एक और रोचक तथ्य बताया गया है और वो ये है कि सर्पों की मृत्यु कुछ इस तरह से होती है जैसे मोर से, मनुष्य से, चकोर पक्षी से, बिल्ली से, सुअर, बिच्छू, गाय, भैस, घोड़े आदि के पैर से दब जाने के कारण। अगर सर्प इन सब से जीवित बच गया तो सर्प 120 साल तक जीवित रहता है। सर्प के जन्म लेने के 7 दिन बाद दांत उग आते है और 21 दिन बाद इनमें विष भी आ जाता है। सांप के 240 पैर होते है जो गाय के रोये के तरह बहुत ज्यादा छोटे होते है, जिन्हें हम साधारण आँखों से नहीं देख सकते। ये पैर सांप के चलते समय बाहर निकले रहते हैं और बाकी समय ये अपने भीतरी भाग में चले जाते है। जिस साँप के दांत लाल, नीले और सफेद रंग के होते है उनके विष का भेग बहुत कम होता है और इनकी आयु भी बहुत कम होती है। तो ये थी नागपंचमी से संबंधित कुछ ऐसी रहस्मयी बातें जो आज हमने आपके साथ साझा की। ऐसे ही और रहस्यों को जानने के लिए जुड़े रहे हमारे साथ।
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