आज हम जानेंगे कि रक्षाबंधन का त्यौहार मनाने की शुरुआत कैसे हुई,इनके पीछे क्या कारण थे। हमारे इतिहास में कुछ पौराणिक रोचक कथाएं मिलती है जिनमे रक्षाबंधन का त्यौहार मनाये जाने का कारण बताया गया है। Raksha Bandhan
रक्षाबंधन क्यों मनाते है? जाने कुछ अनसुने रोचक क़िस्से | Raksha Bandhan Rochak Kisse
राजा बली और लक्ष्मी माँ ने शुरू की भाई बहन की राखी।
दोस्तों आप सभी को हमारा विडिओ अच्छा लगे तो हमारे चैनल को सब्सक्राइब जरूर कर लें। राजा बली बहुत दानी राजा थे और भगवान विष्णु के अनन्य भक्त भी थे। एक बार उन्होंने यज्ञ का आयोजन किया। इसी दौरान उनकी परीक्षा लेने के लिए भगवान विष्णु वामन अवतार लेकर आये और दान मैं राजा बलि से तीन पग भूमि देने के लिए कहा। लेकिन उन्होंने दो पग में ही पूरी पृथ्वी और आकाश नाप लिया। इस पर राजा बलि समझ गए की भगवान उनकी परीक्षा ले रहे है। तीसरे पग के लिए उन्होंने भगवान का पग अपने सिर पर रखवा लिया।
फिर उन्होंने भगवान से याचना की कि अब तो मेरा सब कुछ चला ही गया है, प्रभु आप मेरी विनती स्वीकारें और मेरे साथ पाताल में चल कर रहे। भगवान ने भक्त की बात मान ली और बैकुंठ छोड़कर पाताल चले गए। उधर देवी लक्ष्मी परेशान हो गयी। फिर उन्होंने लीला रची और गरीब महिला बनकर राजा बलि के सामने पहुंची और राजा बलि को राखी बांधी। बली ने कहा कि मेरे पास तो आपको देने के लिए कुछ भी नहीं है। इस पर देवी लक्ष्मी अपने रूप में आ गईं और बोलीं कि आपके पास तो साक्षात् भगवान है, मुझे वही चाहिए, मैं उन्हें ही लेने आई हूँ।
इस पर बलि ने भगवान विष्णु को माता लक्ष्मी के साथ जाने दिया। जाते समय भगवान विष्णु ने राजा बलि को वरदान दिया कि वह हर साल चार महीने पाताल में ही निवास करेंगे। यह चार महीना चर्तुमास के रूप में जाना जाता है जो देवशयनी एकादशी से लेकर देवउठानी एकादशी तक होता है।
रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है | Raksha Bandhan Kyu Manaya Jata Hai | Raksha Bandhan History
द्रोपदी और कृष्ण का रक्षाबंधन।
राखी से जुड़ी एक सुंदर घटना का उल्लेख महाभारत में मिलता है। सुन्दर इसलिए क्योंकि यह घटना दर्शाती है कि भाई बहन के स्नेह के लिए उनका सगा होना जरूरी नहीं है। जब युधिष्ठिर इंद्रप्रस्थ में राजसूय यज्ञ कर रहे थे उस समय सभा में शिशुपाल भी मौजूद था। शिशुपाल ने भगवान श्रीकृष्ण का अपमान किया तो श्रीकृष्ण ने अपने सुदर्शन चक्र से उसका वध कर दिया। लौटते हुए सुदर्शन चक्र से भगवान की छोटी ऊँगली थोड़ी कट गई और रक्त बहने लगा। यह देख द्रौपदी आगे आई और उन्होंने अपनी साड़ी का पल्लू फाड़कर श्रीकृष्ण की उँगली पर लपेट दिया।
इसी समय श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को वचन दिया कि वह एक एक धागे का ऋण चुकाएंगे। इसके बाद जब कौरवों ने द्रोपदी का चीरहरण करने का प्रयास किया तो श्रीकृष्ण ने चीर बढ़ाकर द्रौपदी के चीर की लाज रखी। कहते है जिस दिन द्रौपदी ने श्रीकृष्ण की कलाई में साड़ी का पल्लू बांधा था, वह श्रावण पूर्णिमा के दिन था। Raksha Bandhan 2023 Shubh Muhurat
युधिष्ठिर ने अपने सैनिकों को बांधी राखी।
राखी की एक अन्य कथा है कि पांडवों को महाभारत का युद्ध जिताने में रक्षासूत्र का बड़ा योगदान था। महाभारत युद्ध के दौरान युधिष्ठिर ने भगवान कृष्ण से पूछा कि हे कान्हा, मैं कैसे सभी संकटों से पार पा सकता हूँ? मुझे कोई उपाय बतलाए। तब श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर से कहा कि वह अपने सभी सैनिकों को रक्षासूत्र बांधें। इससे उनकी विजय सुनिश्चित होगी। युधिष्ठिर ने ऐसा ही किया और विजयी बने। यह घटना भी सावन महीने की पूर्णिमा तिथि पर ही घटित हुई मानी जाती है। तब से इस दिन पवित्र रक्षा सूत्र बांधा जाता है। इसलिए सैनिकों को इस दिन राखी बांधी जाती है।
पत्नी सचि ने इंद्रदेव को बांधी थी राखी।
भविष्य पुराण में एक कथा है कि वृत्रासुर से युद्ध में देवराज इंद्र की रक्षा के लिए इंद्राणी शची ने अपने तपोबल से एक रक्षासूत्र तैयार किया और श्रावण पूर्णिमा के दिन इंद्र की कलाई में बांध दिया। इस रक्षासूत्र ने देवराज की रक्षा की और वह युद्ध में विजयी हुए।
राखी की एक कहानी सिकंदर से भी जुड़ी है।
सिकंदर पूरे विश्व को फतह करने निकला और भारत आ पहुंचा। यहाँ उसका सामना भारतीय राजा पुरु से हुआ। राजा पुरु बहुत वीर और बलशाली राजा थे, उन्होंने युद्ध में सिकंदर को धूल चटा दी। इसी दौरान सिकंदर की पत्नी को भारतीय त्योहार रक्षा बंधन के बारे में पता चला। तब उन्होंने अपने पति सिकंदर की जान बचाने के लिए राजा पुरू को राखी भेजी। राजा पुरु आश्चर्य में पड़ गए लेकिन राखी के धागों का सम्मान करते हुए उन्होंने युद्ध के दौरान जब सिकंदर पर वार करने के लिए अपना हाथ उठाया तो राखी देखकर ठिठक गए और बाद में बंदी बना लिए गए। दूसरी ओर बंदी बने पुरु की कलाई में राखी को देखकर सिकंदर ने भी अपना बड़ा दिल दिखाया और पुरु को उनका राज्य वापस कर दिया।